मंगलवार, 6 नवंबर 2012


                                         गुरुजी 


दोपहर मे ठीक 1 बजे एक अनजान नंबर से काँल आया और उसने अभिवादन के बाद कहा - आपके फेसबुक एकांउट से आपका नंबर मिला , आपके लिए एक बड़ी न्यूज है ये कहकर उसने एक सनसनीखेज खबर दी   सर , हमारे गाँव के स्कूल मे शिक्षाकर्मी रोज बच्चों के साथ बैठ कर मध्यान्ह भोजन खाते है अगर आप रिपोर्टर और कैमरामैन भेज दे तो इनका लाइव टेलीकास्ट कराया जा सकता है “  मैने उसे बताया कि मै टेक्नीकल पोस्ट पे हूँ फिर भी उपर बात करुँगा  कहकर काँल रखा और रखते ही मुँह से अनायास उसके लिए दो गालियाँ निकली. मै हैरान हूँ कि लोगो को कितना ज्यादा न्यूज सेंस हो चुका है उन्हे कितने अच्छे से पता है कि कैसी खबरे ब्रेकिंग न्यूज होती है और उसे कितना विश्वास था मीडिया पर कि उसका काँल आते ही हम सीधा प्रसारण दिखाने पहुँच जायेगें . अब बात उस घोर अपराध की जो वो शिक्षाकर्मी कर रहे है , वो बच्चो का खाना खा जा रहे है .....तो मन किया ये जानने का कि आखिर उस खाने का मेनू क्या होता है ...पता चला कि चावल दाल आचार ही अधिकांशत : दिया जाता है और कभी कभी मीठे के नाम पर एकाध लडडू , तो ऐसा लगा ये तो बहुत बड़ी बात है और इसके लिए तो उन्हे कठोर सजा मिलनी चाहिए शायद आजीवन कारावास जैसी . क्यूँकी जिस देश मे करोड़ो के घोटाले शिक्षको के पढ़ाए शिष्य कर रहे है वहाँ ये अज्ञानी गुरुजी 10-20 का खाना खाकर बदनाम हो रहे है कुल मिलाकर इन्हे कुछ आता ही नही और इन्होने अपने उन तथाकथित छात्रों को कुछ सिखाया ही नही है ये करोड़ो के घोटाले का ज्ञान तो उन्हे किसी और पाठशाला से ही हासिल हुआ है ..... जहां स्नातक, स्नातकोत्तर, डीएड , बीएड और टीइटी जैसे परीक्षा उत्तीर्ण करके युवा शिक्षाकर्मी बन रहे है और गाँव देहात मे जाकर चपरासी से भी कम तनख्वाह पर नौकरी कर रहे है वहाँ इनका इस तरह खुलेआम भ्रष्टाचार मचाना बिल्कुल बर्दाशत नही किया जा सकता इसका हक तो केवल पाँचवी दसवी पास नेता या चपरासी या स्नातक पास बाबूओं को ही है .... पढ़ा लिखा शिक्षक ये काम कैसे कर सकता है उसका काम तो संस्कार देना और राष्ट्र निर्माण करना है भले ही उसके घर चुल्हा जले या न जले , उसकी माँ के पास दो जोड़ी नयी साड़ी हो या न हो , उसके पास दो कमरे का मकान हो या न हो पर उसका भ्रष्टाचार कतई बर्दाशत नही किया जा सकता .... उनका ट्यूशन पढ़ाना भी गलत है क्यूँकी आप शिक्षा का व्यापार नही कर सकते इसके लिए तो हमने बड़े बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट वालो को ठेका दिया है और इस काम का काँपीराइट उन्ही के पास है फिर ये काम आप कैसे कर सकते है ...आप तो सिर्फ एक काम किजिए अपनी तनख्वाह एक साथ चार चार महीनों बाद लिजिए और ऐश किजिए , दिवाली दशहरा आपके लिए नही है ...आपको सरकार इतनी छुट्टियाँ जो देती है और क्या चाहिए अब क्या सरकार की जान लोगे क्या ?  ऐसे भी ये छुट्टिया देकर सरकार पब्लिक की नजर मे बुरी बनती है , ये छुट्टियाँ बच्चो के लिए थोड़े दी जाती है ये तो आपको दी जाती है ताकि आप घर मे रहकर आराम करे और फिर से इन सब अन्यायों को सहने लायक बन सके ....और अगली बार अगर खाना खाते पाए गए तो ये ठेका भी प्रधान पाठक से छीनकर किसी पाँचवी ठेकेदार को दे देंगे क्योकी तुम पढे लिखे लोग साला भ्रष्टाचार ज्यादा फैलाते हो और वो भी बिना लाइसेंस के ........................ – विवेक दुबे

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